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आरईसी ने किरू 624 मेगावाट हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए ₹1869 करोड़ के सावधि ऋण के लिए सीवीपीपीपीएल के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए
तारीख 24-04-2024
गुरुग्राम/जम्मू, 24 अप्रैल 2024 - विद्युत मंत्रालय के अधीन एक महारत्न सीपीएसई और अग्रणी एनबीएफसी, आरईसी लिमिटेड ने टर्म लोन के रूप में ₹1869.265 करोड़ की वित्तीय सहायता के लिए चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (सीवीपीपीपीएल) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
ऋण का उपयोग जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में स्थित चिनाब नदी पर ग्रीनफील्ड किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (4 x156 मेगावाट) के विकास, निर्माण और संचालन के लिए किया जाएगा।
यह समझौता सीवीपीपीपीएल के प्रबंध निदेशक श्री रमेश मुखिया, महाप्रबंधक (सी एंड पी) श्री वसंत हुरमाड़े, महाप्रबंधक (वित्त) श्री संजय कुमार गुप्ता और आरईसी लिमिटेड के उप. महाप्रबंधक प्रमोद कुमार सोनी, उप. महाप्रबंधक श्री ऋषभ जैन व अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में किया गया।
किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (624 मेगावाट), एक रन-ऑफ-रिवर योजना, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर प्रस्तावित है और किश्तवाड़ से लगभग 42 किलोमीटर दूर है। परियोजना में 135 मीटर ऊंचे बांध और 156 मेगावाट की 4 इकाइयों के साथ एक भूमिगत पावर हाउस के निर्माण की परिकल्पना की गई है।
सीवीपीपीपीएल के बारे में –
सीवीपीपीपीएल एनएचपीसी (51%) और जेकेएसपीडीसी (49%) के बीच एक संयुक्त उद्यम कंपनी है, जो चिनाब नदी की विशाल जल क्षमता का दोहन करने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार और भारत सरकार की पहल पर बनाई गई है। कंपनी को 2011 में शामिल किया गया है। सीवीपीपीएल को किरू एचई परियोजना (624 मेगावाट), पाकल दुल एचई परियोजना (1000 मेगावाट), क्वार एचई परियोजना (540 मेगावाट), और किरथाई-द्वितीय एचई परियोजना (930 मेगावाट), 3094 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता के निर्माण साथ, स्वामित्व, संचालन और रखरखाव (बूम) का काम सौंपा गया है।
आरईसी लिमिटेड के बारे में –
आरईसी विद्युत मंत्रालय के तहत एक 'महारत्न' केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है। यह आरबीआई के अधीन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) और अवसंरचना वित्तपोषण कंपनी (आईएफसी) के रूप में पंजीकृत है। आरईसी उत्पादन, पारेषण (ट्रांसमिशन), वितरण, नवीकरणीय ऊर्जा और नई प्रौद्योगिकियों सहित संपूर्ण विद्युत-बुनियादी ढांचा क्षेत्र का वित्तपोषण कर रहा है। नई प्रौद्योगिकियों में इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी भंडारण, पंप भंडारण परियोजनाएं, हरित हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया परियोजनाएं शामिल हैं। हाल ही में आरईसी ने गैर-विद्युत अवसंरचना क्षेत्र में भी अपने कदम रखे हैं। इनमें सड़क और एक्सप्रेसवे, मेट्रो रेल, हवाईअड्डा, आईटी संचार, सामाजिक और व्यावसायिक अवसंरचना (शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल), पत्तन और इस्पात व तेल शोधन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में इलेक्ट्रो-मैकेनिक (ईएंडएम) कार्य शामिल हैं। आरईसी लिमिटेड देश में बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए राज्य, केंद्र और निजी कंपनियों को विभिन्न परिपक्वता अवधि के ऋण प्रदान करती है। यह विद्युत क्षेत्र के लिए सरकार की प्रमुख योजनाओं में महत्वपूर्ण रणनीतिक भूमिका निभा रही है। इसके अलावा यह प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य), दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई), राष्ट्रीय विद्युत निधि (एनईएफ) योजना के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करती है। इसके परिणामस्वरूप देश में सुदूर क्षेत्र तक विद्युत वितरण प्रणाली को मजबूत किया गया, 100 फीसदी गांवों का विद्युतीकरण व घरेलू विद्युतीकरण किया गया। इसके अलावा आरईसी को पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) को लेकर कुछ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए नोडल एजेंसी भी बनाया गया है। केंद्र सरकार की ओर से आरईसी को पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना की जिम्मेदारी भी दी गई है। 31 दिसंबर, 2023 तक आरईसी की ऋण पुस्तिका (लोन बुक) 4.97 लाख करोड़ रुपये का होने के साथ नेटवर्थ 64,787 करोड़ रुपये है।